Bhakti Sutra (भक्ति सूत्र)

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Description

इस सदी की सबसे बड़ी तकलीफ यही है कि उसके सौंदर्य का बोध खो गया है।और हम लाख उपाय करते हैं कि सिद्ध करने के कि वह नहीं है। और हमें पता नहीं कि जितना हम सिद्ध कर लेते हैं की वह नहीं है, उतना ही हम अपनी ही ऊंचाइयों और गहराइयों से वंचित हुए जा रहे है। परमात्मा को भुलाने का अर्थ अपने को भुलाना है।
परमात्मा को भूल जाने का अर्थ अपने को भटका लेना है। फिर दिशा खो जाती है। फिर तुम कहीं पहुंचते मालूम नहीं पड़ते। फिर तुम कोल्हू के बैल हो जाते हो, चक्कर लगाते रहते हो। आंखें खोलो! थोड़ा हृदय को अपने से ऊपर जाने की सुविधा दो। काम को प्रेम बनाओ। प्रेम को भक्ति बनने दो।
परमात्मा से पहले तृप्त होना ही मत। पीड़ा होगी बहुत। विरह होगा बहुत। बहुत आंसू पड़ेंगे मार्ग में। पर घबराना मत। क्योंकि जो मिलने वाला है उसका कोई भी मूल्य नहीं है। हम कुछ भी करें, जिस दिन मिलेगा उस दिन हम जानेंगे, जो हमने किया था वह ना-कुछ था। तुम्हारे एक-एक आंसू पर हजार-हजार फूल खिलेंगे। और तुम्हारी एक-एक पीड़ा हजार-हजार मंदिरों का द्वार बन जाएगी। घबराना मत। जहां भक्तों के पैर पड़ें, वहां काबा बन जाता हैं।

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